Volume : 9, Issue : 1, JAN 2023

BHAKTI KALEN SANT TULASEDAS KE KAVY MEIN SAMAJIK CHETANA : EK VISHLESHAN (भक्ति कालीन संत तुलसीदास के काव्य में सामाजिक चेतना : एक विश्लेषण)

KALU RAM (कालू राम)

Abstract

भाषा और साहित्य किसी देश की सामाजिक और सांस्कृतिक धरोहर होते हैं, जिसमें उस देश के मानव तथा समाज का इतिहास परिलक्षित होता है। साहित्य ही वह माध्यम है जिससे किसी देश की सामाजिक संरचना लोगों की स्थिति उनके आचार-विचार, रहन-सहन, भाषा, व्रत-त्योहार इत्यादि पर प्रकाश पड़ता है। साहित्यकार अपने साहित्य का विषय समाज से ग्रहण करता है तथा उसका उद्देश्य भी समाज को प्रभावित करना होता है। समाज से शक्ति ग्रहण करने वाला साहित्य कालजयी बन जाता है जो सभी देश और काल में समाज के लिए प्रेरणास्रोत बना रहता है जिससे सीख लेकर समाज स्वयं को समय-समय पर सुधारता रहता है। हिंदी साहित्य में निर्गुण-सगुण संत कवियों ने ऐसे ही साहित्य की सर्जना की है जो सैकड़ों सालों से भारतीय समाज के लिए प्रेरणा का कार्य कर रहा है।

Keywords

सामाजिक चेतना, जाति व्यवस्था, समन्वय, नारी, शक्ति।

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References

1. हिंदी साहित्य का इतिहास, आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, पृ. 42

2. मानव मुक्ति और संत साहित्य, अजैब सिंह, पृ. 184

3. हिंदी के जनपद संत, प्रेरक जगजीवन राम पृ. 54

4. हिंदी साहित्य का इतिहास आचार्य रामचन्द्र शुक्ल, पृ. 51

5. घट रामायण (भाग 2) संत तुलसी साहब पृ 29

6. कबीर ग्रंथावली, (संपा.) डॉ. श्यामसुन्दर दास पृ. 272

7. घट रामायण (भाग-2), संत तुलसी साहब, पृ. 152

8. रत्नसागर, संत तुलसी साहब, पृ. 119