Volume : 9, Issue : 1, JAN 2023
“SVATANTRATA SANGRAM KE ALAKH MEIN SVAME VIVEKANAND JI KA VAICHARIK BODH : EK ADHYAYAN” (“स्वतंत्रता संग्राम की अलख में स्वामी विवेकानंद जी का वैचारिक बोध : एक अध्ययन”)
RAJESH KUMAR MALVIYA (राजेश कुमार मालविया)
Abstract
स्वामी विवेकानन्द का उदय जब हुआ। तब चारों ओर धार्मिक क्षेत्र में कर्मकाण्ड, धार्मिक अंधविश्वास और आडम्बर का प्राबल्य था । उस युग में ब्रिटिश शासकों और राजनीतिज्ञों ने ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार के लिये प्रयास करना शुरू कर दिया था। भारत सामाजिक कुरीतियों और रूढ़ियों से ग्रस्त होकर गुलामी की जंजीरों में जकड़ा जा रहा था। उस समय ब्राह्मण जाति को उच्च स्थान प्राप्त था, जाति प्रथा न केवल सत्तावादी और अप्रजातांत्रिक थी बल्कि हिन्दू समाज में अस्पृश्यता वीभत्स रूप में प्रचलित थी। वास्तविक रूप में स्वामी विवेकानन्द का जन्म राजनीतिक अव्यवस्था के युग में हुआ था । राजनीतिक सुव्यवस्था स्थापित किये बिना समाज की अन्य समस्याओं का समाधान नहीं किया जा सकता था। अतः स्वामी विवेकानन्द ने राजनीतिक दार्शनिक की भाँति अनेक राजनीतिक समस्याओं पर अपने विचार प्रस्तुत किये। और अपने राष्ट्र को वैचारिक आजादी दिलाने के महनीय योगदान दिया।
Keywords
स्वतंत्रता, प्रभाव, समाज, इतिहास, युग, विचार, कुरीतियां, दृश्य, राजनीतिज्ञ, जन्म, विवेकानन्द ।
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References
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