Volume : 9, Issue : 1, JAN 2023
KRSHNABHAKTI- YUGEN KAVY MEIN ABHIVYAKT SAMAJIK JEVAN DARSHAN : EK ADHYAYAN (कृष्णभक्ति- युगीन काव्य में अभिव्यक्त सामाजिक जीवन दर्शन : एक अध्ययन)
KALU RAM (कालू राम)
Abstract
मध्ययुगीन कृष्णभक्त कवियों ने अपनी रचनाओं में तद्युगीन समाज की गतिविधियों, सामाजिक संस्कारों, सरोकारों एवं सामाजिक रीति-रिवाजों का उल्लेख किया है उनकी कृतियों में सामाजिक जीवन की जो अभिव्यक्ति मिलती है, वह अद्भुत है।
मध्ययुगीन जन-साधारण का जीवन भौतिक साधनों के अभाव में व्यतीत हो रहा था और वह इन साधनों को इकट्ठा करने के लिए प्रतिबद्ध था किन्तु उसे उसमें पूर्ण सफलता नहीं मिली। अधिकांश लोग उदर-पोषण की चिन्ता में ही व्यामृत रहते थे। यद्यपि उच्चवर्ग जो कि इन चिन्ताओं से मुक्त था, उनका जीवन विलास के सम्पूर्ण साधनों के मध्य बीत रहा था। दोनों ही वर्गों का कोई उत्कृष्ट नैतिक आदर्श नहीं था। सभी का अपना अलग उद्देश्य था। किसी को भोजन का प्रबन्ध करना था तो कोई अपने भोग-विलासी जीवन में किसी नये भौतिक साधन का आगमन कर रहा था। ऐसे में कृष्णकाव्य धारा के भक्त कवियों ने अपनी आध्यात्मिक विचारधारा में कृष्ण के लोकरंजनकारी स्वरूप को प्रतिष्ठित करते हुए शासक वर्ग एवं शासित वर्ग दोनों को आध्यात्मिक अधिष्ठान प्रदान करके उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करने का कार्य किया।
Keywords
सामाजिक जीवन, भक्ति, लोक संस्कृति, पशुपालन, आजीविका।
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References
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2. सूरसागर, पद 625
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6. सूरसागर, 2794
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8. सूरसागर, 1299
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11. कुंभनदास पद संग्रह, 127, परमानन्ददास, 795-97
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